बेलगाम महंगाई बेबस सरकार
महंगाई ये कैसी महंगाई जो रुकने की नाम नहीं ले रही है। लोग परेशान हैं कि दो वक्त की रोटी का कैसे जुगाड़ हो...रोजमर्रा के कमाने वाले आम लोग यही चाहते हैं कि किसी तरह ये महंगाई कम हो उन्हें दो वक्त की रोटी नशीब हो...
बाजार में हरी सब्जियां अब चिढ़ाने लगी हैं, टमाटर कहता है हिम्मत हो तो खरीद कर देखो...कई सब्जियां तो ये कहती हैं कि हम गरीबों के घर जाते ही नहीं...ये हालात हैं बाजार में बिक रही सब्जियों की....। जिस तरह से सब्जियां मुंह चिढ़ा रही हैं उसका सामना आम आदमी कैसे करेगा...,कैसे चलेगा आम लोगों का जीवन क्योंकि...महंगाई डायन है कि सब को खाती जा रही है..। क्या अमीर क्या गरीब सभी की हालत खस्ता हो गयी है...सब्जी और अनाज के दाम सातवें आसमान पर पहुंच गए हैं। भाव सुनकर लोगों की सांसे रुक जाती है। सरकार है कि आंकड़ों के खेल में व्यस्त है। रसोई गैस और पेट्रोल डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं। बजट में कई चीजों के दाम पहले से ही बढ़े थे...लगातार कई चीजों के दाम बढ़ने से लोगों की मुसीबत और भी बढ़ गयी है...।
महंगाई ने इस कदर लोगों की कमर तोड़ दी है कि लोगों को दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं हो पा रही है। सरकार है कि आश्वासन पर आश्वासन दे रही है..जबकि सरकारी गोदामों में अनाज सड़ रहा है और गरीबों को दो वक्त की रोटी भी नशीब नहीं हो रहा है...। इस समय हिन्दुस्तान में 27 करोड़ लोगों को भर पेट भोजन नशीब नहीं हो पा रहा है। प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने फरवरी में मुंख्यमंत्रियों के सम्मेलन में कहा था कि महंगाई पर जल्द ही काबू पा लिया जाएगा फिर भी महंगाई है कि कम होने के बजाय बढ़ती ही जा रही है...। सबके जहन में एक ही सवाल है कि महंगाई क्यों बढ़ी और सरकार इसपर लगाम लगाने के लिए ठोस कदम क्यों नहीं उठा रही है....
महंगाई ये कैसी महंगाई जो रुकने की नाम नहीं ले रही है। लोग परेशान हैं कि दो वक्त की रोटी का कैसे जुगाड़ हो...रोजमर्रा के कमाने वाले आम लोग यही चाहते हैं कि किसी तरह ये महंगाई कम हो उन्हें दो वक्त की रोटी नशीब हो...
बाजार में हरी सब्जियां अब चिढ़ाने लगी हैं, टमाटर कहता है हिम्मत हो तो खरीद कर देखो...कई सब्जियां तो ये कहती हैं कि हम गरीबों के घर जाते ही नहीं...ये हालात हैं बाजार में बिक रही सब्जियों की....। जिस तरह से सब्जियां मुंह चिढ़ा रही हैं उसका सामना आम आदमी कैसे करेगा...,कैसे चलेगा आम लोगों का जीवन क्योंकि...महंगाई डायन है कि सब को खाती जा रही है..। क्या अमीर क्या गरीब सभी की हालत खस्ता हो गयी है...सब्जी और अनाज के दाम सातवें आसमान पर पहुंच गए हैं। भाव सुनकर लोगों की सांसे रुक जाती है। सरकार है कि आंकड़ों के खेल में व्यस्त है। रसोई गैस और पेट्रोल डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं। बजट में कई चीजों के दाम पहले से ही बढ़े थे...लगातार कई चीजों के दाम बढ़ने से लोगों की मुसीबत और भी बढ़ गयी है...।
महंगाई ने इस कदर लोगों की कमर तोड़ दी है कि लोगों को दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं हो पा रही है। सरकार है कि आश्वासन पर आश्वासन दे रही है..जबकि सरकारी गोदामों में अनाज सड़ रहा है और गरीबों को दो वक्त की रोटी भी नशीब नहीं हो रहा है...। इस समय हिन्दुस्तान में 27 करोड़ लोगों को भर पेट भोजन नशीब नहीं हो पा रहा है। प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने फरवरी में मुंख्यमंत्रियों के सम्मेलन में कहा था कि महंगाई पर जल्द ही काबू पा लिया जाएगा फिर भी महंगाई है कि कम होने के बजाय बढ़ती ही जा रही है...। सबके जहन में एक ही सवाल है कि महंगाई क्यों बढ़ी और सरकार इसपर लगाम लगाने के लिए ठोस कदम क्यों नहीं उठा रही है....