Monday, July 26, 2010


बेलगाम महंगाई बेबस सरकार

महंगाई ये कैसी महंगाई जो रुकने की नाम नहीं ले रही है। लोग परेशान हैं कि दो वक्त की रोटी का कैसे जुगाड़ हो...रोजमर्रा के कमाने वाले आम लोग यही चाहते हैं कि किसी तरह ये महंगाई कम हो उन्हें दो वक्त की रोटी नशीब हो...

बाजार में हरी सब्जियां अब चिढ़ाने लगी हैं, टमाटर कहता है हिम्मत हो तो खरीद कर देखो...कई सब्जियां तो ये कहती हैं कि हम गरीबों के घर जाते ही नहीं...ये हालात हैं बाजार में बिक रही सब्जियों की....। जिस तरह से सब्जियां मुंह चिढ़ा रही हैं उसका सामना आम आदमी कैसे करेगा...,कैसे चलेगा आम लोगों का जीवन क्योंकि...महंगाई डायन है कि सब को खाती जा रही है..। क्या अमीर क्या गरीब सभी की हालत खस्ता हो गयी है...सब्जी और अनाज के दाम सातवें आसमान पर पहुंच गए हैं। भाव सुनकर लोगों की सांसे रुक जाती है। सरकार है कि आंकड़ों के खेल में व्यस्त है। रसोई गैस और पेट्रोल डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं। बजट में कई चीजों के दाम पहले से ही बढ़े थे...लगातार कई चीजों के दाम बढ़ने से लोगों की मुसीबत और भी बढ़ गयी है...।

महंगाई ने इस कदर लोगों की कमर तोड़ दी है कि लोगों को दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं हो पा रही है। सरकार है कि आश्वासन पर आश्वासन दे रही है..जबकि सरकारी गोदामों में अनाज सड़ रहा है और गरीबों को दो वक्त की रोटी भी नशीब नहीं हो रहा है...। इस समय हिन्दुस्तान में 27 करोड़ लोगों को भर पेट भोजन नशीब नहीं हो पा रहा है। प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने फरवरी में मुंख्यमंत्रियों के सम्मेलन में कहा था कि महंगाई पर जल्द ही काबू पा लिया जाएगा फिर भी महंगाई है कि कम होने के बजाय बढ़ती ही जा रही है...। सबके जहन में एक ही सवाल है कि महंगाई क्यों बढ़ी और सरकार इसपर लगाम लगाने के लिए ठोस कदम क्यों नहीं उठा रही है....

Sunday, July 18, 2010

हिन्दू


धर्म या हिदूत्व...?



हिन्दुत्व को प्राचीन काल में सनातन धर्म कहा जाता था। हिन्दुओं के धर्म के मूल तत्त्व सत्य, अहिंसा, दया, क्षमा, दान आदि हैं जिनका शाश्वत महत्त्व है। अन्य प्रमुख धर्मों के उदय के पूर्व इन सिद्धान्तों को प्रतिपादित कर दिया गया था। इस प्रकार हिन्दुत्व सनातन धर्म के रूप में सभी धर्मों का मूलाधार है क्योंकि सभी धर्म-सिद्धान्तों के सार्वभौम आध्यात्मिक सत्य के विभिन्न पहलुओं का इसमें पहले से ही समावेश कर लिया गया था। मान्य ज्ञान जिसे विज्ञान कहा जाता है प्रत्येक वस्तु या विचार का गहन मूल्यांकन कर रहा है और इस प्रक्रिया में अनेक विश्वास, मत, आस्था और सिद्धान्त धराशायी हो रहे हैं। वैज्ञानिक दृष्टिकोण के आघातों से हिन्दुत्व को भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि इसके मौलिक सिद्धान्तों का तार्किक आधार तथा शाश्वत प्रभाव है।
आर्य समाज जैसे कुछ संगठनों ने हिन्दुत्व को आर्य धर्म कहा है और वे चाहते हैं कि हिन्दुओं को आर्य कहा जाय। वस्तुत: 'आर्य' शब्द किसी प्रजाति का द्योतक नहीं है। इसका अर्थ केवल श्रेष्ठ है और बौद्ध धर्म के चार आर्य सत्य की व्याख्या करते समय भी यही अर्थ ग्रहण किया गया है। इस प्रकार आर्य धर्म का अर्थ उदात्त अथवा श्रेष्ठ समाज का धर्म ही होता है। प्राचीन भारत को आर्यावर्त भी कहा जाता था जिसका तात्पर्य श्रेष्ठ जनों के निवास की भूमि था। वस्तुत: प्राचीन संस्कृत और पालि ग्रन्थों में हिन्दू नाम कहीं भी नहीं मिलता। यह माना जाता है कि परस्य (ईरान) देश के निवासी 'सिन्धु' नदी को 'हिन्दु' कहते थे क्योंकि वे 'स' का उच्चारण 'ह' करते थे। धीरे-धीरे वे सिन्धु पार के निवासियों को हिन्दू कहने लगे। भारत से बाहर 'हिन्दू' शब्द का उल्लेख 'अवेस्ता' में मिलता है। विनोबा जी के अनुसार हिन्दू का मुख्य लक्षण उसकी अहिंसा-प्रियता है
हिंसया दूयते चित्तं तेन हिन्दुरितीरित:।
एक अन्य श्लोक में कहा गया है
ॐकार मूलमंत्राढ्य: पुनर्जन्म दृढ़ाशय:
गोभक्तो भारतगुरु: हिन्दुर्हिंसनदूषक:।
ॐकार जिसका मूलमंत्र है, पुनर्जन्म में जिसकी दृढ़ आस्था है, भारत ने जिसका प्रवर्तन किया है, तथा हिंसा की जो निन्दा करता है, वह हिन्दू है।
चीनी यात्री हुएनसाग् के समय में हिन्दू शब्द प्रचलित था। यह माना जा सकता है कि हिन्दू' शब्द इन्दु' जो चन्द्रमा का पर्यायवाची है से बना है। चीन में भी इन्दु' को इन्तु' कहा जाता है। भारतीय ज्योतिष में चन्द्रमा को बहुत महत्त्व देते हैं। राशि का निर्धारण चन्द्रमा के आधार पर ही होता है। चन्द्रमास के आधार पर तिथियों और पर्वों की गणना होती है। अत: चीन के लोग भारतीयों को 'इन्तु' या 'हिन्दु' कहने लगे। मुस्लिम आक्रमण के पूर्व ही 'हिन्दू' शब्द के प्रचलित होने से यह स्पष्ट है कि यह नाम मुसलमानों की देन नहीं है।
भारत भूमि में अनेक ऋषि, सन्त और द्रष्टा उत्पन्न हुए हैं। उनके द्वारा प्रकट किये गये विचार जीवन के सभी पहलुओं पर प्रकाश डालते हैं। कभी उनके विचार एक दूसरे के पूरक होते हैं और कभी परस्पर विरोधी। हिन्दुत्व एक उद्विकासी व्यवस्था है जिसमें अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता रही है। इसे समझने के लिए हम किसी एक ऋषि या द्रष्टा अथवा किसी एक पुस्तक पर निर्भर नहीं रह सकते। यहाँ विचारों, दृष्टिकोणों और मार्गों में विविधता है किन्तु नदियों की गति की तरह इनमें निरन्तरता है तथा समुद्र में मिलने की उत्कण्ठा की तरह आनन्द और मोक्ष का परम लक्ष्य है।
हिन्दुत्व एक जीवन पद्धति अथवा जीवन दर्शन है जो धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष को परम लक्ष्य मानकर व्यक्ति या समाज को नैतिक, भौतिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक उन्नति के अवसर प्रदान करता है। हिन्दू समाज किसी एक भगवान की पूजा नहीं करता, किसी एक मत का अनुयायी नहीं हैं, किसी एक व्यक्ति द्वारा प्रतिपादित या किसी एक पुस्तक में संकलित विचारों या मान्यताओं से बँधा हुआ नहीं है। वह किसी एक दार्शनिक विचारधारा को नहीं मानता, किसी एक प्रकार की मजहबी पूजा पद्धति या रीति-रिवाज को नहीं मानता। वह किसी मजहब या सम्प्रदाय की परम्पराओं की संतुष्टि नहीं करता है। आज हम जिस संस्कृति को हिन्दू संस्कृति के रूप में जानते हैं और जिसे भारतीय या भारतीय मूल के लोग सनातन धर्म या शाश्वत नियम कहते हैं वह उस मजहब से बड़ा सिद्धान्त है जिसे पश्चिम के लोग समझते हैं । कोई किसी भगवान में विश्वास करे या किसी ईश्वर में विश्वास नहीं करे फिर भी वह हिन्दू है। यह एक जीवन पद्धति है; यह मस्तिष्क की एक दशा है। हिन्दुत्व एक दर्शन है जो मनुष्य की भौतिक आवश्यकताओं के अतिरिक्त उसकी मानसिक, बौद्धिक एवं आध्यात्मिक आवश्यकता की भी पूर्ति करता है।


टूटता रिश्ता

हम उस रिश्ते की बात कर रहे हैं जो किसी बंधन से नहीं वल्कि विश्वास पर टिका है.....जो अब वो टूटने लगा है। क्योंकि उस पर नज़र लग गयी है दहेज के दानव की...जो रिश्तों के बीच दीवार बन गया है। ऐसी ही एक महिला की कहानी है जो उसी दानव का शिकार बनी और अब इंसाफ के लिए दर-दर भटक रही है.....
बेटी पिता के घर की अमानत होती है और जब बेटी बड़ी हो जाती है तो पिता शादी के लिए सोचने लगता है। हर पिता की यही तमन्ना होती है कि जिसे वो अपनी बेटी का हाथ दे रहा है वो जिन्दगी भर साथ निभाएगा....। हम ऐसी ही एक लड़की की दास्तां दिखाने जा रहे जिसका पिता शादी के दौरान दहेज में जितना हो सका था सब कुछ दिया। लेकिन दहेज के लोभियों का मुंह बंद नहीं हुआ, दहेज नहीं मिलने पर वो उस बहू से ही रिश्ता तोड़ रहे हैं जिसको एक पिता ने बड़े ही अरमान से विदा किया था.... ये तस्वीरें हैं 13 फरवरी 2006 की....इसी दिन अरुण और आराधना सात फेरों के साथ अग्नि को साक्षी मानकर साथ जीने और मरने की कसमें खायी थी..., पिता ने अपना फर्ज निभाया भाई ने अपना...। शादी को लेकर हर किसी में खुशी थी बेटी आराधना जिस घर में आएगी उस घर को सपनों का घरौंदा बनाकर सबकी देखभाल करेगी...वैसा ही आराधना ने ससुराल पहुंचने पर किया जैसा संस्कार उनके माता पिता ने दिया था... लेकिन कुछ ही दिनों में ससुराल वालों का असली चेहरा सामने आने लगा...और आराधना से दहेज की मांग करने लगे..एक दो बार अराधना ने दहेज की मांग पूरी भी की लेकिन ससुराल वालों कामुंह फैलता ही गया और मांग बढ़ती ही गयी....
दहेज की मांग पूरी नहीं हो पायी तो आराधना का पति अरुण तलाक की धमकी देने लगा, आये दिन अरुण अपनी पत्नी को प्रताणित करता रहा... तक एक बार उसने धारदार चाकू से वारकर आराधना को घायल कर दिया। अरुण ने एक बार आराधना इतनी बुरी तरह पिटाई की...कि उसके पेट में पल रहे बच्चे की मौत हो गयी..।
अरुण अपनी पत्नी के साथ ऐसा क्यों कर रहा था इसके पीछे एक राज है..., अरुण का संबंध कई लड़कियों से नाजायज ताल्लुकात हैं जिसको आराधना जान गयी थी वो चाहती थी कि किसी तरह मेरा पति अच्छा बन जाय, लेकिन वो अच्छा बनने के बजाय उल्टा उसी पर जुल्म ढहाने लगा...

इतना सब होने के बावजूद आराधना अपने पति के ही साथ रहना चाहती है, जबकि अरुण आराधना से अपना पीछा छुड़ाना चाहता है....
हम दिखा रहे हैं दहेज उत्पीडन से परेशान एक युवती की कहानी दर्द भरी कहानी...वो शिकार बनी है अपने पति और ससुराल वालों की...आखिर वो पति महज दहेज की लालच में पत्नी को घर से निकाल दिया है और वो रह रही है उसी पिता के पास जिसने बड़े ही अरमान से डोली में बिठाया था वही न्याय के लिए भटक रहा है...
ये उसी पिता और भाई के आंसू जिसने खुशी-खुशी अपनी बेटी को घर से विदा किय़ा था...अब यही लोग न्याय की गुगार के लिए दर-दर की ठोकर खा रहे हैं..। पति की प्रताड़ना से परेशान होकर आराधना पिछले एक साल से अपने पिता और भाई के साथ रह रही है। इनकी इतनी हैसियत नही है कि दो लाख की डिमांड को पूरी कर सकें....
आराधना के पिता ने समझौते की पूरी कोशिश की लेकिन दहेज के लोभी समझौते के लिए तैयार नहीं हुए आखिरकार इन लोगों ने कानून का सहारा लिया और महिला थाने में दहेज उत्पीडन के तहत मामला दर्ज कराया.. FIR दर्ज होने के बावजूद पुलिस कारवाई से पीछे हट रही है...अब पूरा परिवार यही चाहती है कि किसी तरह से आराधना को न्याय मिले....