Monday, May 9, 2011

भट्टा पारसौल में खूनी संघर्ष के बाद गांवों पसरा सन्नाटा

घरों में घुसकर पुलिस ने की तो़ड़फोड़, लोगों के पलायन से पशु भी है भूंखे प्यासे

विशाल धर दुबे

ग्रेटर नोएडा भट्टा गांव में पुलिस प्रशासन और ग्रामीणों में हुई खूनी संघर्ष के बाद सोमवार को भी पुरे क्षेत्र स्थिति तनाव पूर्ण रहा। कई गांव के युवक गांव छोड़कर भाग गये हैं, लोगों में डर बना है कि कहीं पुलिस उनको गिरफ्तार न कर ले। हालात ऐसे हो गये हैं कि कई गांवों से सन्नाटा पसरा हुआ है। भट्टा, पारसौल, आछेपुर सहित कई गांवों में आरोपियों की तलाश में पुलिस लगी हुई है। वहीं ग्रामीण महिलाओं का आरोप है कि तलाशी के नाम पर पुलिस और पीएसी के जवान महिलाओं, बच्चों और बुजर्गों के साथ मारपीट के साथ ही घरों में घुसकर लूट पाट भी कर रहे हैं। यहां तक कि गांव में रहने वाले लोगों से किसी को मिलने नहीं दिया जा रहा है। मीडिया कर्मी को भी घटना स्थल से दूर रखा जा रहा है। पुलिस ने मनवीर तेवतिया के अलावा पांच लोगों नीरज मलिक व प्रेमवीर पर 15-15 हजार, गजराज सिंह, किरणपाल भट्टा व मनोज आछेपुर पर 10-10 हजार रुपये का इनाम घोषित कर दिया गया है। पुलिस द्वारा इनाम घोषित होने के बाद गांव से सारे लड़के भाग खड़े हुए है जो गांव से भाग नहीं सके हैं उनके जान की आफत आ गयी ह, पीएसी के जवान पकड़-पकड़ कर पीटाई कर रहे हैं । फिलहाल भट्टा, आछेपुर, मुतैना गांव में करफ्यू जैसे हालात बन गये हैं। इन गांवों के लोग या तो भूमिगत हो गये हैं या कहीं और पलायन कर चुके हैं। युवकों के गांव छोड़ने के बाद उनके जानवर भूंखे पड़े है कई की तो फसल बर्बाद हो रही है। पुलिस से छिपकर किसी तरह एनसीआर के संवाददाता और कैमरा मैन गांव में घुसकर ग्रामीणों का हाल चाल लेने पहुंचे तो महिलाएं फफक कर रोने लगीं। आछेपुर की बुजुर्ग महिला अवरा सिंह की मां विद्या कहने लगी कि पुलिस व पीएसी ने उनके घर में घुसकर जमकर तोड़फोड की और उनकी पीटाई भी की। दुसरी महिला विद्या का कहना है कि उनके तीनों पुत्र अतर सिंह, धर्म सिंह व अचल सिंह का कोई पता नहीं है कि वो कहां गये। गांव के ही वीरपाल ने बताया कि पुलिस व पीएसी के भय से यहां के लोग या तो जंगल में छुपे हैं या कहीं दूसरे गांव चले गये हैं। गांव में अधिकतर घरों में तला लटक रहा है, यही वजह है कि उनके पशु भूंख और प्यास से तड़प रहे हैं। ऐसा ही हाल मुतैना गांव का है। एसीआर इंडिया की टीम गांव में घुस कर जायजा लिया तो गांव में करफ्यू जैसी स्थिति देखने को मिला। दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था अगर कोई दिख रहा था खाकी वर्दी के जवान हर तरफ सन्नाटा पसरा रहा। प्रसासन और ग्रामीणों के बीच हुए खूनी जंग के बाद गांव वालों की स्थति बदतर हो गयी है, खासतौर से महिलाओं की स्थिति और खराब हो गयी है। लोगों को खाने पीने की सामग्री तक नहीं है वजह यह है कि गांव के लोग न तो बाहर जा पा रहे हैं और नही बाहर वाले गांव में प्रवेश कर पा रहे है क्योंकि पूरे गांव में पुलिस और पीएसी का पहरा लगा हुआ है। गांव के चारों तरफ आरएएफ, पीएसी बल के साथ गाजियाबाद बुलंदशहर गौतमबुद्धनगर की पुलिस तैनात है। गांव वालों पर निगाह रखने के लिए प्रदेश के उच्च अधिकारी गांव के बाहर डेरा जमाये हुए हैं। दमकल की कई गाड़ियां खेतों में लगे आग को बुझाने में लगी हुई है। सवाल ये है कि गांव के अन्दर और बाहर आग कौन लगा रहा है। वहीं राजनीतिक पार्टियां अपनी रोटी सेंकने के लिए भट्टा के लोगों से मिलने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन उन्हें गांव में घुसने नही दिया जा रहा है। सबसे बड़ी बात ये है कि नेतृत्व विहीन आन्दोलन की वजह से गांव वालों को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। जिसने आन्दोलन की रुप रेखा तय की वो तो भाग खडे हुए। जबकि पुलिस की बर्बरता गांव की महिलाएं और बुजुर्ग को झेलना पड़ रहा है। पुलिस द्वारा आपरेशन सर्च में अब तक 22 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है जबकि 200 लोगों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। वहीं एसपीआरए राकेश कुमार जौली का कहना है कि हन लोग गांव के अन्दर जाकर लोगों से बातचीत कर रहे हैं और ग्रामीणों को सुरक्षा मुहैया कराया जा रहा है ताकि कोई बदमाश गांव में न घुस सके उन्होंने कहा कि किसी भी आरोपी को छोड़ा नहीं जायेगा, अब हालात सामान्य हो रहा है। लेकिन तस्वीरे जो वयां कर रही है उससे साफ है कि गांव वालों की स्थिति ठीक नहीं है कहीं न कही पुलिस के बर्बरता का शिकार लोग बन रहे हैं।

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